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Tanha raah ka raahi

कंगनों के चर्चे है न चूड़ियों के चर्चे है,
सारे  शहर में तेरे झुमकों के चर्चे है।

ये तेरे होंठ है जैसे पंखुड़ियाँ गुलाब की
और ग़ज़लों में मेरी तेरे लबों के चर्चे है।

तेरी बू-ए-जिस्म से फ़ज़ा है महकी हुई
और फ़िज़ा में बस तेरी खुशबुओं के चर्चे है।

भटकता नहीं है कोई रूह की तलाश में,
उल्फतों में अब तो बस जिस्मों के चर्चे है।

तेरे ही अंश से है बा-आब दरिया सब,
और समन्दरों में 'तनहा' तेरी आँखों के चर्चे है।

तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

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2 Comments

Neelam josi

22-May-2022 12:47 PM

👏👌🙏🏻

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Manzar Ansari

22-May-2022 11:39 AM

Really nice

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